Advertisement

loan repayment rules: सुप्रीम कोर्ट ने लोन डिफॉल्टर्स को दी राहत, बैंक नहीं कर पाएंगे मनमानी

loan repayment rules: आज के समय में फाइनेंसियल ज़रूरतों के लिए बैंक लोन लेना आम हो गया है। लेकिन कई बार परिस्थितियाँ ऐसी बन जाती हैं कि लोनधारक समय पर किस्त नहीं चुका पाते। ऐसे में बैंक सख्त कार्रवाई करते हैं, जिससे ग्राहक तनाव में आ जाते हैं। इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो loan repayment rules से जुड़ी प्रक्रिया को प्रभावित करेगा।

अब बैंक नहीं कर सकेंगे सीधी कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब कोई भी बैंक किसी ग्राहक के लोन अकाउंट को सीधे फ्रॉड घोषित नहीं कर सकता। यदि कोई ग्राहक लोन चुकाने में असमर्थ रहता है, तो बैंक को पहले उसे अपना पक्ष रखने का पूरा मौका देना होगा।

मामला RBI द्वारा जारी मास्टर सर्कुलर से जुड़ा है, जिसमें बैंकों को निर्देश दिया गया था कि वे wilful defaulters यानी जानबूझकर लोन न चुकाने वालों को फ्रॉड श्रेणी में डालें। इस सर्कुलर को कई राज्यों में अदालतों में चुनौती दी गई थी।

Also Read:
Post Office RD Scheme 2025 पोस्ट ऑफिस की धमाकेदार RD स्कीम! सिर्फ 5 साल में बनेंगे पूरे ₹18 लाख Post Office RD Scheme 2025

Loan Repayment Rules

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि

  • ग्राहक को बिना पक्ष रखे लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित करना गलत है।
  • यह कदम FIR दर्ज करने से पहले भी नहीं उठाया जाना चाहिए।
  • लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित करना ग्राहक को ब्लैकलिस्ट करने जैसा है, जिससे उसका CIBIL स्कोर बुरी तरह प्रभावित होता है।

इसलिए बैंक को किसी भी प्रकार की कार्रवाई से पहले उचित प्रक्रिया अपनानी होगी।

तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को मिली मान्यता

इस मामले में तेलंगाना और गुजरात हाईकोर्ट ने पहले ही यह स्पष्ट किया था कि लोनधारक को अपना पक्ष रखने का अधिकार है। तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा था कि यह अधिकार संवैधानिक है और इसे न देना कर्जदार के अधिकारों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस राय से सहमति जताते हुए फैसले को वैध ठहराया।

Also Read:
Gratuity Rule Change ग्रेच्युटी के नए नियम लागू, जानिए नया फॉर्मूला की पूरी डिटेल Gratuity Rule Change

क्या बदलेगा इस फैसले से?

  • बैंकों की मनमानी पर लगेगी लगाम।
  • loan repayment rules और लोन डिफॉल्ट की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी और न्यायपूर्ण होगी।
  • ग्राहक को अपनी बात रखने का न्यायिक अधिकार मिलेगा।
  • बैंक को कार्रवाई करने से पहले उचित नोटिस और सुनवाई का अवसर देना होगा।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लाखों लोन लेने वालों के लिए राहत भरा है। अब बैंकों को loan repayment rules के तहत ग्राहकों के साथ न्याय करना होगा, और बिना सुने किसी को फ्रॉड या डिफॉल्टर घोषित नहीं किया जा सकेगा।

Leave a Comment

Whatsapp Group