Income Tax Department: भारत की कर प्रणाली में Income Tax Department की भूमिका न केवल राजस्व संग्रहण तक सीमित है, बल्कि यह देश की आर्थिक नींव को मजबूत करने का भी आधार है। लेकिन अगर कोई टैक्सपेयर अपनी आय की गलत जानकारी देता है या जानकारी छुपाता है, तो उसे इसका खामियाजा सालों बाद भी भुगतना पड़ सकता है।
टैक्स फाइल करना अनिवार्य, सच्ची जानकारी देना ज़रूरी
सरकार ने एक निश्चित आय सीमा से अधिक कमाने वाले सभी नागरिकों के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करना अनिवार्य किया है। रिटर्न भरते समय यह आवश्यक है कि टैक्सपेयर अपनी आय का सही-सही विवरण दे।
कई बार लोग जानबूझकर या अनजाने में गलत जानकारी भर देते हैं, जो बाद में गंभीर परिणाम ला सकती है।
ITR स्क्रूटनी में होती है हर डिटेल की जांच
Income Tax Department द्वारा ITR दाखिल करने के बाद स्क्रूटनी प्रक्रिया की जाती है। यह जांच यह तय करती है कि क्या टैक्सपेयर ने सही तरीके से टैक्स दिया है या नहीं।
अगर स्क्रूटनी में गड़बड़ी मिलती है, तो विभाग नोटिस भेज सकता है। यदि जवाब संतोषजनक न हो, तो अतिरिक्त टैक्स, जुर्माना और कानूनी कार्रवाई भी संभव है।
घर तक आ सकता है Income Tax Notice
इनकम टैक्स नोटिस कई कारणों से आ सकता है
- गलत या अधूरी ITR फाइलिंग
- आय का गलत विवरण
- बैंक ट्रांजैक्शन का मेल न खाना
- टैक्स छूट में हेरफेर या चोरी
चौंकाने वाली बात यह है कि यह नोटिस बहुत पुराने वर्षों के लिए भी आ सकता है।
कितने साल पुराने मामलों पर भेजा जा सकता है नोटिस?
आमतौर पर Income Tax Department पिछले 3 असेसमेंट ईयर तक की रिटर्न की जांच कर सकता है।
10 साल पुराने मामलों पर भी हो सकती है कार्रवाई
विशेष मामलों में विभाग 10 साल पुराने ITR को भी फिर से खोल सकता है, यदि
- टैक्स चोरी के पक्के सबूत हों
- चोरी की राशि 50 लाख रुपये से अधिक हो
- कार्रवाई Section 148 के तहत की जाए
Section 148
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 148 के अनुसार, असेसिंग ऑफिसर को अधिकार है कि वो पुराने मामलों में भी
- टैक्सपेयर से नई जानकारी मांगे
- दस्तावेज़ों की दोबारा जांच करे
- स्क्रूटनी या री-असेसमेंट करे
- आवश्यक होने पर नोटिस भेजकर कार्रवाई करे
यह सब तभी संभव है जब टैक्स चोरी के पक्के प्रमाण हों।
हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने नवंबर 2023 में फैसला सुनाया था कि यदि टैक्स चोरी 50 लाख रुपये से अधिक की हो, तो Income Tax Department को 10 साल पुराने मामलों में भी जांच और नोटिस भेजने का पूरा अधिकार है।
टैक्सपेयर्स के लिए ज़रूरी सावधानियां
यदि आप टैक्सपेयर हैं, तो इन बातों का रखें ध्यान
- हर साल ITR समय पर और सही जानकारी के साथ भरें
- सभी आय स्रोतों को पूरी ईमानदारी से घोषित करें
- बैंक स्टेटमेंट और फॉर्म 26AS से मिलान जरूर करें
- ब्याज, किराया, डिविडेंड जैसी अतिरिक्त आय भी न छुपाएं
- जिन लोगों को टैक्स छूट मिलती है, वो भी दस्तावेज़ सही भरें
निष्कर्ष
Income Tax Department अब पुराने मामलों में भी डिजिटल डेटा और मजबूत जांच तंत्र के माध्यम से टैक्स चोरी पकड़ने में सक्षम हो चुका है। ऐसे में टैक्सपेयर की जिम्मेदारी है कि वे हर साल पूरी ईमानदारी से टैक्स फाइल करें और किसी भी गलती से बचें, वरना सालों बाद भी मिल सकता है नोटिस।