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Property Ownership: कब किराएदार बन सकता है प्रॉपर्टी का मालिक? जानें भारतीय कानून के नियम

Property Ownership: वर्तमान समय में किराए पर दी गई प्रॉपर्टी पर जबरन कब्जा करने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कई बार किराएदार ही मकान या जमीन पर मालिकाना हक का दावा कर देता है, जिससे असली मालिक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे मामलों में प्रॉपर्टी मालिकों को कानून की पूरी जानकारी होना बेहद जरूरी है।

क्या किराएदार बन सकता है प्रॉपर्टी का मालिक?

कानून के अनुसार, यदि कोई किराएदार लंबे समय तक बिना किसी विरोध के किसी प्रॉपर्टी पर कब्जा बनाए रखता है, तो कुछ खास परिस्थितियों में वह उस प्रॉपर्टी का मालिकाना हक भी प्राप्त कर सकता है। इसे “Adverse Possession” कहा जाता है। इस नियम के तहत कब्जाधारी को कुछ शर्तों के अनुसार प्रॉपर्टी का स्वामित्व मिल सकता है।

क्या है एडवर्स पजेशन का नियम?

एडवर्स पजेशन एक कानूनी प्रावधान है, जो ब्रिटिश शासनकाल से भारत में लागू है। इसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी प्रॉपर्टी पर 12 साल तक लगातार कब्जा बनाए रखता है और इस दौरान असली मालिक कोई कानूनी आपत्ति नहीं दर्ज कराता, तो कब्जाधारी उस प्रॉपर्टी पर मालिकाना दावा कर सकता है।

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एडवर्स पजेशन के मान्य होने की शर्तें

  • कब्जा खुले तौर पर होना चाहिए।
  • कब्जा लगातार होना चाहिए।
  • कब्जा बिना किसी अनुमति के होना चाहिए।
  • पूरे 12 वर्षों तक लगातार कब्जा बना रहना चाहिए।
  • इस दौरान असली मालिक द्वारा कोई कानूनी कार्यवाही या विरोध नहीं होना चाहिए।

यदि इन शर्तों का पालन किया गया हो, तो प्रॉपर्टी पर मालिकाना दावा करने में कब्जाधारी को कानूनी सहायता मिल सकती है।

क्या होता है जब मालिक समय पर विरोध करता है?

यदि प्रॉपर्टी का असली मालिक किराएदार के खिलाफ समय रहते आपत्ति दर्ज कराता है, तो Adverse Possession का दावा स्वतः समाप्त हो जाता है।

मालिक विरोध कैसे दर्ज करा सकते हैं?

  • एफआईआर दर्ज कराएं।
  • कानूनी नोटिस भेजें।
  • कोर्ट केस दाखिल करें।

समय पर दर्ज किए गए विरोध से भविष्य में मालिकाना हक सुरक्षित रहता है और कब्जा हटाने में कानूनी मदद मिलती है।

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कब्जा साबित करने के दस्तावेज

कब्जा करने वाले व्यक्ति को कुछ कानूनी दस्तावेज दिखाने होते हैं, जो यह प्रमाणित करें कि वह लंबे समय से प्रॉपर्टी पर काबिज है।

  • बिजली और पानी के बिल
  • प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें
  • स्थानीय निकाय से संबंधित कागजात

ये सभी दस्तावेज कब्जाधारी के प्रॉपर्टी पर स्वामित्व का दावा मजबूत करते हैं।

मालिक क्या करें ताकि कब्जे की नौबत न आए?

मालिकों को अपनी प्रॉपर्टी पर कब्जा होने से बचाने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए। सबसे पहले, नियमित रूप से किराया रसीदें और रिकॉर्ड को सहेज कर रखना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में सबूत प्रस्तुत किया जा सके। इसके अलावा, 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट बनवाना चाहिए और इसे हर 11 महीने के बाद रिन्यू कराना चाहिए।

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यह सुनिश्चित करता है कि किराएदार की स्थिति कानूनी रूप से स्पष्ट रहे। साथ ही, स्टांप पेपर पर लिखित समझौता करना भी जरूरी है, जिसमें प्रॉपर्टी से संबंधित सभी शर्तें स्पष्ट रूप से दर्ज हों। इसके अतिरिक्त, किराएदार को समय-समय पर नोटिस जारी करते रहना चाहिए, ताकि कब्जे की नौबत न आए और कानूनी अधिकार सुरक्षित रहें।

सावधानी ही सुरक्षा

Property Ownership से जुड़े विवादों से बचने के लिए मालिकों को अपनी प्रॉपर्टी के कागजात, रेंट एग्रीमेंट और किराएदार से संबंधित सभी रिकॉर्ड को सही ढंग से बनाए रखना चाहिए। किसी भी विवाद की स्थिति में कानूनी सलाह लेकर उचित कदम उठाना जरूरी है।

इस प्रकार, सही जानकारी और सावधानी बरतकर प्रॉपर्टी पर जबरन कब्जा होने से बचा जा सकता है। सभी प्रॉपर्टी मालिकों को इस कानून की जानकारी रखना चाहिए ताकि किसी भी विवाद के समय सही निर्णय ले सकें।

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